Sunday 11 November, 2012

हर कदम पर श्रमवीरों के साथ छत्तीसगढ़

भवन निर्माण का काम करने वाले मोहन को बेटी की शादी की चिंता सता रही थी। बेटी के विवाह के लिए उन्होंने कुछ रूपए तो जोड़ लिए थे, लेकिन वह अपर्याप्त था। बाकी पैसों का इंतजाम कैसे होगा इसकी चिंता उसे खाए जा रही थी। ऐसे समय में उसकी मदद की श्रम विभाग द्वारा संचालित राजमाता विजयाराजे सामूहिक विवाह योजना ने। इस योजना के अंतर्गत प्राप्त दस हजार रूपयों की मदद से मोहन ने अपनी बेटी का विवाह संपन्न कराया। श्रम विभाग की इसी तरह की मदद से नारायणपुर जिले की शिवनबती और रमोली का भी विवाह हुआ। पिता के निधन के बाद दोनों के विवाह की बड़ी जिम्मेदारी इनके परिजनों पर थी जिसे राजमाता विजयाराजे सामूहिक विवाह योजना की सहायता से परिवार ने अंजाम दिया। ऐसे कई उदाहरण हैं जब प्रदेश की संवेदनशील सरकार ने अभिभावक का कर्त्तव्य निभाया। श्रम विभाग द्वारा संचालित कई कल्याणकारी योजनाओं ने प्रदेश के मेहनतकश तबके की परेशानियां कम की हैं और उनका जीवन स्तर ऊंचा उठाया है। कर्मचारी राज्य बीमा सेवा, श्रम कल्याण मंडल, भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल एवं असंगठित कर्मकार राज्य सामाजिक सुरक्षा मंडल द्वारा संचालित अनेक योजनाओं के माध्यम से छत्तीसगढ़ की गांव, गरीब और किसानों की हितैषी सरकार हर कदम पर प्रदेश के श्रमवीरों के साथ है।

प्रदेश के संगठित क्षेत्र के श्रमिक हों या असंगठित क्षेत्र के, खेतिहर मजदूर हों या कारखानों में काम करने वाले कामगार, बाल श्रमिक शालाओं में पढ़ने वाले बच्चे हों या जीवन-संघर्ष में पुरूषों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही महिला मजदूर, फुटपाथ पर काम कर अपना गुजर बसर करने वाले लोग हों या रिक्शा-ठेला खींचकर जीवन यापन करने वाला तबका, श्रमिकों के हर वर्ग का ख्याल प्रदेश के मुखिया डॉ. रमन सिंह ने रखा है। अखबार बाटने वाले हॉकरों को भी सरकार निःशुल्क सायकलें दे रही हैं। श्रम विभाग के अंतर्गत विभिन्न मंडलों का गठन कर सरकार श्रमिकों के कल्याण के लिए कई अभिनव योजनाएं संचालित कर रही है। प्रदेश के श्रमवीरों की बेहतरी के लिए जन्म से लेकर मृत्यु तक जीवन के हर क्षेत्र के लिए सरकार योजनाएं चला रही है। इन योजनाओं के लाभार्थी केवल मजदूर ही नहीं हैं, बल्कि उनका पूरा परिवार है। छत्तीसगढ़ देश का इकलौता राज्य है जहां असंगठित क्षेत्र के निर्माण मजदूरों के लिए सरकार ने पेंशन योजना शुरू की है।

श्रम विभाग ने छत्तीसगढ़ महतारी यानि प्रदेश की महिला मजदूरों का खास ध्यान रखा है। भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल द्वारा संचालित मुख्यमंत्री सायकल सहायता योजना के तहत 18 से 25 वर्ष की पंजीकृत निर्माणी महिला श्रमिकों को सायकल प्रदान किया जा रहा है जिससे ये स्वावलंबी बन सके और घर से दूर काम पर जाने के लिए इन्हें किसी और के आसरे की जरूरत न पड़े। इस योजना के माध्यम से अब तक 8,634 महिलाओं को सायकल वितरित किया जा चुका है। इसी तरह मुख्यमंत्री सिलाई मशीन सहायता योजना के तहत 26 से 60 वर्ष तक की 10,215 पंजीकृत निर्माणी महिला श्रमिकों को सिलाई मशीन प्रदान किया गया है। सिलाई मशीन मिलने से ये महिलाएं खाली समय में सिलाई कर अतिरिक्त कमाई कर रही हैं। भगिनी प्रसूति सहायता योजना एवं चलित झूलाघर योजना असंगठित क्षेत्र में काम करने वाली महिला श्रमिकों के लिए अभिनव कदम है। भगिनी प्रसूति सहायता योजना के अंतर्गत बच्चे के जन्म के समय निर्माणी महिला श्रमिकों को मातृत्व हितलाभ के रूप में शासन द्वारा 7,000 रूपए दिए जा रहे हैं। निर्माणी पुरूष श्रमिकों को भी पत्नी के मातृत्व अवकाश के समय सेवा के लिए पितृत्व हितलाभ के रूप में 3,000 रूपए प्रदान किया जाता है। इस योजना के तहत प्रदेश में अब तक 2,636 श्रमिक लाभान्वित हुए हैं।

छत्तीसगढ़ की संवेदनशील सरकार हर जरूरतमंद श्रमिक के साथ खड़ी हुई है। राजमाता विजयाराजे सामूहिक विवाह योजना ने निर्माणी श्रमिकों को बच्चों के विवाह जैसे पारिवारिक जिम्मेदारियों के निर्वहन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस योजना के तहत निर्माणी श्रमिकों को स्वयं के या बेटियों के विवाह के लिए 10,000 रूपए की आर्थिक सहायता शासन द्वारा दी जाती है। इस योजना के तहत पिछले दो सालों में 966 निर्माणी श्रमिकों को आर्थिक सहायता प्रदान की गई है।

निर्माणी श्रमिकों की व्यवसायगत जरूरतों के मद्देनजर सरकार मुख्यमंत्री श्रमिक औजार सहायता योजना के तहत उन्हें औजार मुहैया करा रही है। श्रमिकों को उनके काम के अनुसार कारपेंटर, प्लंबर, राजमिस्त्री, इलेक्ट्रिशियन और पेंटरों को भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल द्वारा औजार किट्स वितरित किए गए हैं। इस योजना के अंतर्गत अब तक 11,415 श्रमिकों को औजार दिए गए हैं। इतना ही नहीं, सरकार श्रमिकों के कौशल उन्नयन के लिए भी कार्यक्रम चला रही है। राजमिस्त्री प्रशिक्षण योजना के अंतर्गत प्रतिवर्ष 1,000 श्रमिकों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए शासन ने छत्तीसगढ़ निर्माण एकेडमी से एम.ओ.यू भी किया है। योजना के प्रथम चरण में एकेडमी ने राजनांदगांव में 38 श्रमिकों को राजमिस्त्री का प्रशिक्षण दिया है। इन 38 प्रशिक्षित श्रमिकों में 26 महिलाएं हैं।

श्रम विभाग द्वारा संचालित बाल श्रमिक शालाएं बाल श्रम के उन्मूलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। निःशुल्क स्कूल ड्रेस, जूता-मोजा, स्कूल बैग, कापी-पुस्तक और ध्यान्ह भोजन के साथ-साथ सरकार नौनिहाल छात्रवृत्ति योजना के माध्यम से बाल श्रमिक शालाओं में पढ़ने वाले सभी बच्चों को छात्रवृत्ति मुहैया करा रही है जिससे वे बिना किसी दिक्कत के अपनी पढ़ाई पूरी कर सकें

प्रदेश के श्रमवीरों की बुनियादी और व्यवसायिक जरूरतों के साथ-साथ सरकार उनकी सेहत का भी ध्यान रख रही है। असंगठित कर्मकार राज्य सामाजिक सुरक्षा मंडल और भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल के अंतर्गत पंजीकृत असंगठित क्षेत्र के ऐसे कामगारों को जो गरीबी रेखा के नीचे नहीं आते, उनके लिए भी राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत इलाज के लिए शासन ने स्मार्ट कार्ड जारी किए हैं। 15,000 रूपए तक प्रतिमाह वेतन पाने वाले संगठित क्षेत्र के श्रमिकों और उनके परिजनों को इलाज की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए शासन ने कर्मचारी राज्य बीमा सेवा के अंतर्गत उनका बीमा करवाया है। राज्य बनने के समय इस योजना के अंतर्गत बीमित व्यक्तियों की संख्या लगभग तीस हजार थी जो अब करीब तीन लाख तक पहुंच चुकी है। कर्मचारी राज्य बीमा सेवा के प्रदेश भर में 22 औषधालय हैं जहां बीमित व्यक्ति अथवा उनके परिजन निःशुल्क इलाज करा सकते हैं। प्रदेश के विभिन्न शहरों में श्रम विभाग इस तरह के 20 नए औषधालय शीघ्र ही शुरू करने जा रहा है ताकि अधिक से अधिक कर्मचारियों को निःशुल्क इलाज की सुविधा मिल सके। साथ ही श्रम विभाग कर्मचारी राज्य बीमा सेवा के अंतर्गत रायपुर, भिलाई और कोरबा में 100 बिस्तरों वाले अस्पताल शुरू करने की तैयारी में है।

छत्तीसगढ़ की सरकार ने गांव, गरीब और किसानों के हित में अभिनव फैसले लेकर हमेशा अपनी संवेदनशीलता का परिचय दिया है। प्रदेश के श्रमवीरों के कल्याण के लिए संचालित ये योजनाएं यह साबित करती है कि प्रदेश के मुखिया डॉ. रमन सिंह की प्राथमिकताओं में समाज के सबसे कमजोर तबके की चिंता भी शुमार है। श्रम विभाग की इन कल्याणकारी योजनाओं ने न केवल उन्हें बेहतर सामाजिक सुरक्षा प्रदान की है बल्कि उनका जीवन स्तर और रहन-सहन भी ऊंचा उठाया है। 

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