बहुत दिनों से मन ललचा रहा था कि मैं भी अपना ब्लाग शुरू करूं। मन का एक कोना अंदर ही अन्दर रोक भी रहा था कि ब्लाग बना तो लूंगा, पर क्या नियमित रूप से लिख पाऊंगा? इधर कुछ दिनों से बहुत से मित्रों के नए-नए ब्लाग के दर्शन भी हो रहे थे। अब इसे मित्रों की प्रेरणा कहे या उनकी देखा-देखी, या फिर ख़ुद का ब्लाग शुरू करने का लालच, आख़िर ब्लाग शुरू कर ही लिया है। ब्लॉग-संसार में घुस आया हूँ तो इसकी कई तकनीकी दिक्कतों से दो-चार भी होना पड़ रहा है। नए-नवेले को आखिर कुछ सीखना तो पडेगा ही !
Saturday 14 June, 2008
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